अरावली के खत्म होने से क्या राजस्थान का कितना हिस्सा बन जाएगा रेगिस्तान जाने कितनी जरूरी ये पर्वतमाला

देश में पिछले कुछ सालों में तेजी से खनन की जड़ी पहाड़ों को खत्म करने का सिलसिला तो चल ही रह है वही किसी भी सुप्रीम कोर्ट की ओर से हाल ही आए फैसले में इस मामले को सोशल मीडिया पर आज की तरह फैला दिया दरअसल 20 नवंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया खनन गतिविधियों को पर आए इस फैसले में 100 मीटर तक ऊंचाई वाले पहाड़ों पर खनन की अनुमति दे दी गई है यह फैसला राजस्थान और अरावली पर्वत के लिए सबसे महत्वपूर्ण है ऐसा माना जा रहा है कि इस फैसले के लागू होते ही प्रदेश में रेगिस्तान का क्षेत्र बढ़ जाएगा
क्या राजस्थान में बढ़ जाएगा रेगिस्तान का हिस्सा
पर्यावरण मंत्रालय की ओर से एक अरावली पर्वतमाला को लेकर एक रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई थी इसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट में भी माना है कि अरावली पहाड़ियां आप सिर्फ भूभाग बन गई है अरावली का लगभग 90% हिस्सा 100 मीटर से भी काम हो गया है ऐसी स्थिति में इन्होंने हिस्सों में खनन के रास्ते खुल सकते हैं अब सवाल उठता है कि इन क्षेत्रों में खनन शुरू होगा तो प्रदेश में रेगिस्तान क्षेत्र के बढ़ने का खतरा बढ़ता जाएगा क्योंकि प्रदेश में अरावली पर्वतमाला मरुस्थल के विस्तार को रोकते हैं अरावली पर्वत माला को ऊंचाई घटना से प्रदेश में मानसून सिस्टम भी प्रभावित हो जाएगा प्रदेश में मानसून के जरिए होने वाली बारिश काफी कम होगी जाएगी स्थिति मैं प्रदेश में रेगिस्तान का भूभाग बढ़ाने की ज्यादा संभावना बन जाएगी
प्रदेश में वर्षा का सिस्टम होता जा रहा है प्रभावित
पर्यावरण विद् और राजस्थान विश्वविद्यालय की जियोग्राफी डिपार्मेंट की सीनियर प्रोफेसर ने बताया कि अरावली पर्वतमाला की हाइट कम होने से राजस्थान की वर्षा का सिस्टम प्रभावित हो रहा है ग्लोबल वार्मिंग के चलती है मानसून की हवाएं आ रही है उनमें तेजी से परिवर्तन हो रहा है इस मुख्य कारण अरावली पर्वतमाला की हाइट कम होने से नहीं टकरा पा रही है जो हवाएं अरावली से टकराकर राजस्थान के पूर्व क्षेत्र में बारिश करती थी लेकिन अब वह पश्चिमी राजस्थान की तरफ जा रही है और अब पश्चिम क्षेत्र में बरसात देखने को मिल रही कुल मिलाकर राजस्थान का वर्षा सिस्टम प्रभावित हो रहा है इसके चलते पूरा सिस्टम प्रभावित हो रहा है यह काफी चिंताजनक बात है कि अरावली पर्वतमाला की हाइट घटती जा रही है इससे राजस्थान में कई विपरीत प्रभाव देखने को मिलेगी।
राजस्थान की पहचान है अरावली पर्वतमाला
अरावली पर्वतमाला राजस्थान की लाइफ लाइन और पहचान है आल्हा ऊदल पर्वत माला के बारे में बताया जाता है कि यह विश्व की सबसे पुरानी वालित पर्वतमाला है इसका 80% हिस्सा राजस्थान से गुजरात है अरावली पर्वतमाला की कुल लंबाई 692 किलोमीटर है जबकि राजस्थान में इसका हिस्सा 550 किलोमीटर है इसमें अरावली पर्वतमाला की सबसे ऊंची चोटी राजस्थान की पर्यटन स्थल माउंब हां आबू की गुरु शिखर में है यहां इसकी ऊंचाई 1727 मीटर है अरावली पर्वतमाला तीन राज्यों से होकर गुजरती है इसकी शुरुआत दिल्ली एनसीआर होते हुए राजस्थान और गुजरात के पालनपुर तक फैली हुई है राजस्थान में सबसे ज्यादा अधिकांश नदिया अरावली पर्वत से ही निकलती है ऐसी स्थिति में अरावली पर्वतमाला राजस्थान के लाइफ लाइन कहा जाए तो इसमें अतिशयोक्ति नहीं होगी।
अरावली पर्वतमाला के भूभाग घटने से यह होगें नुकसान
1.अरावली पर्वतमाला समाप्त होने से प्रदेश में मरुस्थल का विस्तार होगा
2.प्रदेश में गर्म हवाओं का व्यापक असर बढ़ता जाएगा
3.प्रदेश में बंगाल की खाड़ी से आने वाली मानसून से बारिश नहीं होगी
4.परदेस में भूकंप के झटके आने के बढ़ेंगे असर
5.प्रदेश में अरावली से निकलने वाली नदियां हो जाएंगे समाप्त
6.प्रदेश के कृषि क्षेत्र में फसलों पर होगा बुरा असर
7.प्रदेश भौगोलिक दशाओं और जलवायु पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा
ऐसे शुरू हुआ अरावली पर्वतमाला के क्षरण होने का सिलसिला
अरावली पर्वतमाला के क्षरण होने का सिलसिला 1990 के दशक में शुरू हुआ इसके बाद यह कम तेजी से बढ़ने लगा इसके पीछे शहरी क्षेत्र के विकास का कारण माना जा रहा है दिल्ली और राजस्थान के शहरी क्षेत्र में निर्माण कार्यों के कारण अरावली पर्वतमाला का अंधाधुंध दोहन शुरू हो गया इसके चलते पत्थरों और खनिजों के लिए अरावली पर्वतमाला में खनन प्रक्रिया तेज शुरू हो गई इसके अलावा पेड़ों की कमी से अरावली पर्वतमाला कमजोर होकर ठहरने ढहने लगी इसको लेकर 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पर्वतमाला के अवैध खनन पर रोक लगाने के आदेश दिए थे